जब एक साथ तीन जगह से चुनाव जीतकर कर विधायक बने मुलायम सिंह यादव
जनता पार्टी टूटने के बाद मुलायम सिंह ने 4 अक्टूबर, 1992 को समाजवादी पार्टी की स्थापना की. उस समय प्रदेश में भाजपा की सरकार थी. 1993 का विधानसभा चुनाव आया. यह चुनाव मुलायम सिंह के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण चुनाव था. इस चुनाव के नतीजे से मुलायम सिंह के राजनीतिक जीवन का सफर तय होने वाला था. क्योंकि उस समय आम चर्चा थी कि मुलालायम सिंह का राजनीतिक जीवन अब समाप्त हो गया है. इसलिए यह चुनाव उनके लिए महत्वपूर्ण था.
चुनाव के समय अंदरखाने से खबर यह थी कि मुलायम सिंह का पर्चा निरस्त किया जा सकता है और अन्य चालबाजियां भी शासन के द्वारा अपनाई जा सकती है.
मुलायम सिंह इस बात को समझ रहे थे कि विपक्ष के लोग किसी भी हद तक जा सकते है. इसलिए उन्होने एक, दो नही बल्कि तीन जगह से चुनाव लड़ने का फैसला किया और नामांकन किया. पहला इटावा की जसवंतनगर, दूसरा एटा की निधौली कला, और तीसरा फिरोजाबाद की शिकोहाबाद सीट से. ताकि विपक्ष एक जगह साजिश करे तो अन्य जगह से सीट जीतने की उम्मीद बनी रहे.
मुलायम सिंह को चुनाव के दौरान एक रैली में मंच से उतरते समय फिसलकर गिर जाने से पैर में फ्रैक्चर भी हो गया था.लेकिन उन्होने उसके बावजूद धुंआधार प्रचार किया.
जब चुनाव परिणाम आया तो नेताजी न सिर्फ़ तीनो सीटो से चुनाव जीत कर विधायक बने बल्कि दूसरी बार प्रदेश के मुख्यमंत्र बनने में कामयाब रहे.
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