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Babasir me Gym kre ki nhi : ये 5 योगासन बवासीर वाले जरुर करे

हेल्दी लाइफ कौन नहीं जीना चाहता है? और, क्या हेल्दी रहते हुए लंबी उम्र जीना क्या वाकई इतना मुश्किल है ?

कई बार तेज लाइफस्टाइल और अनियमित खानपान की वजह से हमें कई तरह की शारीरिक और मानसिक समस्याएं हो जाती हैं। लेकिन यकीन जानिए इन समस्याओं से छुटकारा पाना इतना भी मुश्किल नहीं है। Babasir me Gym kre ki nhi 

खराब लाइफस्टाइल के कारण होने वाली प्रमुख समस्या बवासीर या हेमोरॉयड्स (Hemorrhoids)​ भी है। इसे अंग्रेजी में पाइल्स (Piles) भी कहा जाता है। बिगड़े हुए खानपान, मोटापे आदि की वजह से भी ये समस्या हो सकती है।

भारत के महान योग गुरुओं ने बवासीर या अर्श रोगियों के लिए भी योगासनों की रचना की है। इन योगासनों के नियमित अभ्यास से खूनी, बादी और मस्से वाली बवासीर की समस्या में भी राहत मिलते देखी गई है। Babasir me Gym kre ki nhi 

इसलिए इस आर्टिकल में हम बवासीर की समस्या से राहत देने वाले 6 योगासनों के बारे में जानकारी देंगे। इन योगासनों के नियमित अभ्यास से बवासीर की समस्या से राहत पाई जा सकती है। 

बवासीर और योग (Yoga For Piles)

बवासीर को पाइल्स और हेमोरॉयड्स के नाम से भी जाना जाता है। बवासीर खराब जीवन शैली, मोटापे के साथ-साथ खराब पाचन तंत्र के कारण भी हो सकता है। यौगिक तकनीकी न केवल बवासीर के लक्षणों को कम करने में बल्कि बवासीर के वास्तविक कारण को खत्म करने में भी मदद करती है।

योगासन वैकल्पिक रूप से गुदा की मांसपेशियों को खिंचाव और मांसपेशियों के संकुचन में मदद करते हैं। योग गुदा को कोमल और शिथिल रखता है। पाइल्स अक्सर लंबे समय से खराब रहे पाचन तंत्र के कारण होता है, योग से इसी समस्या को जड़मूल से खत्म करने पर ध्यान दिया जा सकता है। Babasir me Gym kre ki nhi 

इसके अलावा, कई बार बवासीर का दर्द शरीर के साथ ही मन को भी पीड़ा देता है। लोग इस दर्द से इतना ज्यादा पीड़ित हो जाते हैं कि, उन्हें शौच जाने के ख्याल से ही पसीना निकल आता है। योग इस समस्या को हल करने में भी मदद कर सकता है।

योग के उपयोग से शरीर को स्वस्थ बनाने में मदद मिलती है। इसके साथ ही ये रोग के कारण मन पर पड़े बुरे प्रभावों को दूर करने में भी मदद करता है। योग आपको स्थिरता देता है। जीवन में नए मूल्य देता है ताकि आप हेल्दी और दीर्घायु रहें।

बवासीर के लिए योगासन  (Yoga Poses For Piles)

1. विपरीत करनी (Viparita Karini / Legs Up The Wall)

विपरीत करनी योग के अभ्यास से रक्त संचार पैर से गुदा की ओर होता है। इससे गुदा में रक्त का प्रवाह बढ़ जाता है। ये स्थिति खून बहने की स्थिति और बवासीर के गंभीर लक्षणों को भी कम करने में सहायता करती है। यह मल त्याग के दौरान गुदा पर पड़ने वाले दबाव से हो रहे दर्द को कम करने में भी मदद करेगा।

विपरीत करनी करने की विधि :

1. योग मैट पर पीठ के बल लेट जाएं।

2. दोनों हाथ और पैरों को जमीन पर सीधा रखें।

3. धीरे-धीरे दोनों पैरों को ऊपर उठाएं।

4. ऊपर के शरीर को फर्श पर ही रखा रहने दें।

5. दोनों पैरों को 90 डिग्री कोण तक ऊपर उठाएं।

6. आराम पाने के लिए कूल्हों के नीचे तकिया या कंबल को मोड़कर रख लें।

7. सुनिश्चित करें कि आपकी पीठ और सिर फर्श पर आराम कर रहे हैं।

8. आंखों को बंद करें और इस स्थिति में 5-15 मिनट के लिए रुकें।

2. मालासन (Malasana / Garland Pose)

मालासन कब्ज को रोकने में मदद कर सकता है जो कि बवासीर के सबसे सामान्य कारणों में से एक है। ये आसन न केवल आपकी रीढ़, कूल्हों और नितंबों पर काम करता है, बल्कि पूरे पाचन तंत्र के कामकाज को संतुलित करते हुए पेट को फैलाता और सिकोड़ता है। कोशिश करें और आराम करने से पहले 8-10 सांसों के लिए इस मुद्रा में रहें।

मालासन करने की विधि :

1. योग मैट पर ताड़ासन में खड़े हो जाएं। 

2. रीढ़ को खींचते हुए पेट को भीतर की ओर खींचें। 

3. कंधों को ऊपर की तरफ खींचते हुए कुछ गहरी सांसें लें और छोड़ें।

4. दोनों हाथों को नमस्ते या प्रणामासन की मुद्रा में लेकर आएं।

5. सीने को फुलाएं और सख्त बनाए रखें। 

6. गहरी सांस लें और धीरे-धीरे छोड़ें। 

7. सांस छोड़ते हुए घुटनों के बल नीचे बैठ जाएं।

8. टांगें साथ रहेंगी लेकिन घुटनों के बीच अंतर रहना चाहिए। 

9. जांघों को धीरे-धीरे फैलाएं।

10. जांघों को शरीर की चौड़ाई से थोड़ा बाहर ले जाने का प्रयास करें। 

11. सांस छोड़ते हुए आगे झुकें जिससे धड़ जांघों के बीच में फिट हो जाए।

12. दोनों कु​हनियां इनर थाइज पर टिका दें।

13. अब धड़ आराम से बाहर निकाल सकेगा। 

14. भीतरी जांघों को धड़ के बगल से दबाएं। 

15. बाहों को फैलाकर घुमाएं कि पिंडली बगल में फिट हो जाए।

16. अब अपनी एड़ियों को पकड़ें।

17. इस पोज को कुछ सेकेंड तक रोककर रखें।

18. सांस ​भीतर खींचते हुए आसन को विराम दें।

3. बालासन (Balasana / Child Pose)

बालासन भी गुदा की ओर रक्त के संचार को बढ़ाने में योगदान कर सकता है। ये योगासन कब्ज को कम करने में भी मदद कर सकता है। बालासन की मुद्रा में कम से कम एक मिनट तक रहें या जब तक आप सहज हों। Babasir me Gym kre ki nhi 

बालासन करने की विधि :

1. योग मैट पर घुटनों के बल बैठ जाएं। 

2. दोनों टखनों और एड़ियों को आपस में छुआएं।

3. धीरे-धीरे अपने घुटनों को बाहर की तरफ जितना हो सके फैलाएं। 

4. गहरी सांस खींचकर आगे की तरफ झुकें।

5. पेट को दोनों जांघों के बीच ले जाएं और सांस छोड़ दें। 

6. कमर के पीछे के हिस्से में त्रिकास्थि/सैक्रम (sacrum) को चौड़ा करें।

7. अब कूल्हे को सिकोड़ते हुए नाभि की तरफ खींचने की कोशिश करें। 

8. इनर थाइज या भीतर जांघों पर स्थिर हो जाएं। 

9. सिर को गर्दन के थोड़ा पीछे से उठाने की कोशिश करें। 

10. टेलबोन को पेल्विस की तरफ खींचने की कोशिश करें। 

11. हाथों को सामने की तरफ लाएं और उन्हें अपने सामने रख लें। 

12. दोनों हाथ घुटनों की सीध में ही रहेंगे। 

13. दोनों कंधों को फर्श से छुआने की कोशिश करें। 

14. आपके कंधों का खिंचाव शोल्डर ब्लेड से पूरी पीठ में महसूस होना चाहिए। 

15. इसी स्थिति में 30 सेकेंड से लेकर कुछ मिनट तक बने रहें। 

16. धीरे-धीरे फ्रंट टोरसो को खींचते हुए सांस लें। 

17. पेल्विस को नीचे झुकाते हुए टेल बोन का उठाएं और सामान्य हो जाएं।

4. पवनमुक्तासन (Pawanmukhtasana / Wind Relieving Pose)

पवनमुक्तासन का अभ्यास करते समय पेट पर कोमल और कठोर दबाव एक साथ पड़ता है। इस आसन के अभ्यास से फंसी हुई गैसों को छोड़ने और पेट के निचले हिस्से में दिक्कत को कम करने में मदद मिल सकती है। ये आसन गुदा में मांसपेशियों के तनाव को कम करने में भी मदद करेगा। इस आसन को करने के लिए 5-6 सेकेंड तक सांसों को रोककर रखें।

पवनमुक्तासन करने की विधि :

1. योग मैट पर पेट के बल शवासन (Shavasana) में लेट जाएं।

2. बाएं घुटने को मोड़ते हुए उसे पेट के पास तक ले आएं।

3. सांस छोड़ते हुए दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में फंसाएं।

4. अंगुलियों को घुटनों के नीचे रखेंगे। 

5. अब बाएं घुटने से सीने को छूने की कोशिश कीजिए।

6. सिर जमीन से ऊपर उठाएं और घुटने को नाक से छूने की कोशिश करें।

7. नाक को घुटनों से छूने के बाद 10 से 30 सेकेंड तक इसी मुद्रा में र​हें।

8. धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए सामान्य हो जाएं। 

9. अब यही प्रक्रिया दाएं पैर से भी कीजिए। 

10. एक योग सेशन में 3 से 5 बार इस मुद्रा को दोहराएं।

5. सर्वांगासन (Sarvangasana / Shoulder Stand Pose)

सर्वांगासन के नियमित अभ्यास से शरीर में रक्त परिसंचरण में सुधार आता है। ये आसन विशेष रूप से आपके पेट और गुदा के लिए फायदेमंद होता है। यह आसन शरीर में पाचन रस के प्रवाह को नियमित करने में भी मदद करता है। फर्श पर वापस कर्ल करने से पहले कम से कम 10 सेकंड के लिए इन पोज का अभ्यास करें।

सर्वांगासन करने की विधि :

1. योग मैट पर पीठ के बल लेट जाएं। 

2. कंधों के नीचे कंबल को मोड़कर रख लें। 

3. कंधों को कंबल के किनारे की सीध में ले आएं। 

4. दोनों हाथ शरीर के साथ रखें, हथेलियां नीचे रहेंगी।

5. टांगों को सीधे हवा में ऊपर की तरफ उठाएं। 

6. धीमी गति से टांगों को सिर की तरफ मोड़ें। 

7. दोनों हाथों को कमर पर ले जाकर सहारा दें।

8. हाथों की अंगुलियां ऊपर की तरफ रहेंगी।

9. टांगों को ऊपर की तरफ खींचकर उठाएं। 

10. कंधे, रीढ़ की हड्डी और हिप्स एक सीध में आ जाएंगे।

11. इसी स्थिति में 30 सेकेंड से 3 मिनट तक बने रहें।

12. अब रीढ़ को धीरे-धीरे योग मैट पर ले आएं।

13. टांगों को भी धीमी गति से योग मैट पर ले आएं।

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